Facebook, instagram निहायत ही मन को दुःखी कर देते हैं। ईश्वर ने इस जीव को मानव का नश्वर शरीर दे दिया है । दूसरों की खुशहाल ज़िन्दगी से जलन, द्वेष और ईर्ष्या अमूमन मानव चरित्र ही है । फिर इस ईर्ष्या के भाव से ग्लानि कैसी । एक बार को मन खुद को दिलासा दे देता है कि कितनी fake life है लोगों की, सच मे भला कब ज़िन्दगी में कोई यूँ ड्रामेबाजी करता है । लेकिन ज्यूँ ही उँगलियाँ LinkedIn प्रोफाइल पर पहुँचती है, मन को दी हुई हर दिलासा बौनी पड़ जाती है और साथ ही साथ बौना पड़ जाता है ईर्ष्या और ईर्ष्या के बाद उपजा ग्लानि का भाव । क्योंकि, अपने परिचित, सहपाठी और पूर्व सहकर्मियों की उन्नति, पदोन्नति का लेखा जोखा रखता LinkedIn बचपन के दिनों के topper दोस्त के report cards सा लगता है । फिर उपजते है भेद, मतभेद और खेद के भाव । खैर ! मानव तन मिला है तो यह सब संवेदनायें भी अहसास करवाती हैं कि ज़िन्दा हैं हम.. आज की परिस्थिति में यह अहसास भी दिल को खुश रखने के लिए पर्याप्त है । #मनबात #ईर्ष्या #socialmedia