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'किराये के घर' मुझे कोई मुझ ही से रु-ब-रु तो कराय

'किराये के घर'

मुझे कोई मुझ ही से रु-ब-रु तो कराये
हलक में आवाज मेरी कोई तो रुकाये

बंद कमरे में ज्यादा है एक रोशनदान
ये न हो तो ललित बाहर भी न जाये

रोशनी ने अक्सर किया है परेशान मुझे
नजर एक रक्खूं पर सब अलग दिखाये

अंधेरों की इनायत से वाकिफ हो रहा
बन्दा कब तक खुले में शौक से बिताये

तमाम घर किराये पर चढ़े हुए हैं इधर
खुद के में कौन रहता है मुझे भी बताये

दीवार-दीवार से जुड़े हैं कई कंदराओं से
पत्थर के लाख़ लाख के पत्थर नजर आंये

तिरा तअस्सुर बिल्कुल बेअसर है 'लित्ते'
तिरे किराएदार को काश मुझपे तरस आये
'किराये के घर'

मुझे कोई मुझ ही से रु-ब-रु तो कराये
हलक में आवाज मेरी कोई तो रुकाये

बंद कमरे में ज्यादा है एक रोशनदान
ये न हो तो ललित बाहर भी न जाये

रोशनी ने अक्सर किया है परेशान मुझे
नजर एक रक्खूं पर सब अलग दिखाये

अंधेरों की इनायत से वाकिफ हो रहा
बन्दा कब तक खुले में शौक से बिताये

तमाम घर किराये पर चढ़े हुए हैं इधर
खुद के में कौन रहता है मुझे भी बताये

दीवार-दीवार से जुड़े हैं कई कंदराओं से
पत्थर के लाख़ लाख के पत्थर नजर आंये

तिरा तअस्सुर बिल्कुल बेअसर है 'लित्ते'
तिरे किराएदार को काश मुझपे तरस आये
lkaydhillon4060

Lkay Dhillon

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