टूटे हुए को जोड़ना आसान नहीं होता, यूँही कोई किसी पे मेहरबान नहीं होता, तारों से सजाता है हर रात नई महफ़िल, उल्काओं के गिरने से परेशान नहीं होता, रिश्तों की अहमियत को समझे नहीं अगर, कहने से कोई यूँही मेहमान नहीं होता, गफ़लत की नींद सोने वालों नींद से जगो, मुज़रिम का पक्षधर कभी दीवान नहीं होता, करने से मदद दिल को मिलती बड़ी तसल्ली, नेकी का काम कभी भी एहसान नहीं होता, दिल को मिले सुकून तो ईनाम समझ लेना, रौशन करे जो रात को दिनमान नहीं होता, बीते दिनों का मत करो 'गुंजन' मलाल तुम, जिस दिल में ख़ुदा रहता सुनसान नहीं होता, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #आसान नहीं होता#