सुर्ख हो गई आंखें, उनके इंतजार में और ये कमबख्त दिल है कि मानता ही नहीं है। शायद ये इश्क़ की खुमारी छाई है दिल में और मासूम आंखों को पता ही नहीं है। अब नींद कहां हैं इन सुर्ख आंखों में ये कमबख्त दिल है कि मानता ही नहीं है। पता नहीं कब खत्म होगी इन आंखों की बेकरारी कर गयी है कत्ल उनकी एक क़ातिल निगाहें इन्हें। बेकरारी बढ़ती ही जा रही है, उनके इंतजार में ख्यालें गम की कश्ती फंस गई बीच मझधार में। पता नहीं कब, कहां मिले मिरा वो खुदा इस कमबख्त दिल को इतना भी नहीं पता। ©️अजय यायावर✍️ #ajayyayavardairies #Ishq #Mohabbat Suman Zaniyan imran_kazi_07 Sandeep L Guru