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तुम मेरी माँ तो नहीं पर मेरी माँ से बढ़ कर हो। मेरे

तुम मेरी माँ तो नहीं पर मेरी माँ से बढ़ कर हो।
मेरे दोस्तों से जादा तुम मेरे दिल के करीब हो।।
मैं हर बात तुझसे बताता हुँ।
कोई बात ना तुमसे छिपता हुँ।।
आ रहा है फिर रक्षा का त्योहार
इस बार मैं तुझसे क्या कहुँ।।
बस रब से इतनी इल्तज़ा करू
तेरे हर मुशीबतों को
 दूर करने वाला परछाई बनु।
गर दुबारा जन्म हो इस धारा पर 
तो हर जन्म में मैं तुम्हारा भाई बनु।
poet:H.singh rajput बन्धन
तुम मेरी माँ तो नहीं पर मेरी माँ से बढ़ कर हो।
मेरे दोस्तों से जादा तुम मेरे दिल के करीब हो।।
मैं हर बात तुझसे बताता हुँ।
कोई बात ना तुमसे छिपता हुँ।।
आ रहा है फिर रक्षा का त्योहार
इस बार मैं तुझसे क्या कहुँ।।
बस रब से इतनी इल्तज़ा करू
तेरे हर मुशीबतों को
 दूर करने वाला परछाई बनु।
गर दुबारा जन्म हो इस धारा पर 
तो हर जन्म में मैं तुम्हारा भाई बनु।
poet:H.singh rajput बन्धन