Nojoto: Largest Storytelling Platform

मधुरम मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले और चंद

मधुरम मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले और चंद्र उठे आकाश की रोशनी बेला में फिर नया सवेरा जाग उठे फिर शाम ढले और रात जले मधुरी जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर पार लगी जीवन की रोशनी बेला में फिर नया सवेरा जाग उठे फिर पाव उठे और चलने लगे मधुरम जीवन की ज्योति जले नन्हे पग उठ फिर गिरने लगे फिर उठने लगे और चलने लगे टिम टिम करते तारे जैसे जीवन की नई उमंग उठे तरंग बने और भी और बहने लगी है झर झर करती नदिया जैसी झूम रहे इठलाने लगी नटखट टोली बन उठने लगी उठने लगी मन की ज्योत जले उठने लगी तो चलने लगी समझ ना पाया मन समझा न सके सब मन मेरा ज्ञान को हम अपनाने लगे मधुरी में जीवन की ज्योत जले आप बिछड़े वह  ऐसा आया जब दिल से दिल टकराया मन मन की मन ही मन मुस्कान ही ना कि आप प्रेम के गीत सुनाने लगे एक नई राह पर चलने को मन आतुर हो दिल धड़का आने लगी मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे अब बात पुरानी उठने लगी लगी बचपन की याद सताने लगी फिर से वो बचपन आया संग झूम के दिल भर आया फिर वही पुरानी बात बने फिर उठने लगी चलने लगे मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे  अब अंतिम क्षण वो आया बचपन से पचपन बीत गए उम्मीद लगाए बैठे हैं फिर वह बचपन जाग उठे इस दुनिया को प्यारा बचपन बीत गया कहां चला गया गुमनाम हुआ अभी आज रात रह जाती है वह सात को तरसाती है अब अब सांस उठे और दबने लगे जीवन की ज्योति बुझने लगे मंत्र एम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे #poetrymadhurim
मधुरम मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले और चंद्र उठे आकाश की रोशनी बेला में फिर नया सवेरा जाग उठे फिर शाम ढले और रात जले मधुरी जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर पार लगी जीवन की रोशनी बेला में फिर नया सवेरा जाग उठे फिर पाव उठे और चलने लगे मधुरम जीवन की ज्योति जले नन्हे पग उठ फिर गिरने लगे फिर उठने लगे और चलने लगे टिम टिम करते तारे जैसे जीवन की नई उमंग उठे तरंग बने और भी और बहने लगी है झर झर करती नदिया जैसी झूम रहे इठलाने लगी नटखट टोली बन उठने लगी उठने लगी मन की ज्योत जले उठने लगी तो चलने लगी समझ ना पाया मन समझा न सके सब मन मेरा ज्ञान को हम अपनाने लगे मधुरी में जीवन की ज्योत जले आप बिछड़े वह  ऐसा आया जब दिल से दिल टकराया मन मन की मन ही मन मुस्कान ही ना कि आप प्रेम के गीत सुनाने लगे एक नई राह पर चलने को मन आतुर हो दिल धड़का आने लगी मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे अब बात पुरानी उठने लगी लगी बचपन की याद सताने लगी फिर से वो बचपन आया संग झूम के दिल भर आया फिर वही पुरानी बात बने फिर उठने लगी चलने लगे मधुरम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे  अब अंतिम क्षण वो आया बचपन से पचपन बीत गए उम्मीद लगाए बैठे हैं फिर वह बचपन जाग उठे इस दुनिया को प्यारा बचपन बीत गया कहां चला गया गुमनाम हुआ अभी आज रात रह जाती है वह सात को तरसाती है अब अब सांस उठे और दबने लगे जीवन की ज्योति बुझने लगे मंत्र एम जीवन की ज्योत जले दिन सूर्य चले फिर चंद्र उठे #poetrymadhurim
chaitsunny8225

Sonuzwrites

New Creator
streak icon8