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कोई सुनता नहीं जैसे , तो मौन हूं मैं भूलती ही चली

कोई सुनता नहीं जैसे , तो मौन हूं मैं
भूलती ही चली जा रही हूं, कौन हूं मैं।

क्या मैं बालक हूं जिसमें बचपना है,
या मैं स्त्री हूं जिसे समझना है,
क्या मैं सम्पूर्ण हूं जिसे कुछ नहीं खलता,
या अकेली हूं और सारे ज़माने से लड़ना है,
ख़ुद को जानने का भी समय नहीं, पर मौन हूं मैं
अब भूलती ही जा रही हूं, कौन हूं मैं।

क्या मैं ठहरा हुआ नीर हूं ,जो कोई दिशा नहीं जानती है
या बहती नदी हूं मैं ,जो सारी सीमा लांघती है
क्या मैं वही शक्स हूं, जिसे सारी दुनिया जानती है
या वो जो अकेले में ख़ुद को , ख़ुद के भीतर छानती है
सबकी आवाज़ बनती थी फ़िर क्यों ख़ुद के लिए , मौन हूं मैं
ख़ुद को नहीं पहचानती अब , देखो जाने कौन हूं मै।

एक परिवार का अभिमान या किसी कुल की प्रतिष्ठा 
या खुद के अस्तित्व को ढूंढूं ,
 कहो कैसा ये त्रिकोण हूं मैं
  ख़ुद भी ख़ुद से अपरिचित, हो गई हूं मौन हूं मैं
यादों में जो खो गई , वो कौन थी और कौन हूं मैं #leftalone #Who #lost #myidentity #Identity #अस्तित्व #Hindi #Poetry
कोई सुनता नहीं जैसे , तो मौन हूं मैं
भूलती ही चली जा रही हूं, कौन हूं मैं।

क्या मैं बालक हूं जिसमें बचपना है,
या मैं स्त्री हूं जिसे समझना है,
क्या मैं सम्पूर्ण हूं जिसे कुछ नहीं खलता,
या अकेली हूं और सारे ज़माने से लड़ना है,
ख़ुद को जानने का भी समय नहीं, पर मौन हूं मैं
अब भूलती ही जा रही हूं, कौन हूं मैं।

क्या मैं ठहरा हुआ नीर हूं ,जो कोई दिशा नहीं जानती है
या बहती नदी हूं मैं ,जो सारी सीमा लांघती है
क्या मैं वही शक्स हूं, जिसे सारी दुनिया जानती है
या वो जो अकेले में ख़ुद को , ख़ुद के भीतर छानती है
सबकी आवाज़ बनती थी फ़िर क्यों ख़ुद के लिए , मौन हूं मैं
ख़ुद को नहीं पहचानती अब , देखो जाने कौन हूं मै।

एक परिवार का अभिमान या किसी कुल की प्रतिष्ठा 
या खुद के अस्तित्व को ढूंढूं ,
 कहो कैसा ये त्रिकोण हूं मैं
  ख़ुद भी ख़ुद से अपरिचित, हो गई हूं मौन हूं मैं
यादों में जो खो गई , वो कौन थी और कौन हूं मैं #leftalone #Who #lost #myidentity #Identity #अस्तित्व #Hindi #Poetry