कभी वो मेरे पास आने से कटराती थी आज तो वो हमेशा मेरे संग को बतलाती है क्योकि मैने मन से उसको अपना बनाया था कभी उसको मैने अपनी सांस समाया था जब से मैने उसको अपने कर में थामा है तब से इस जहां ने मुझे संग से जाना है रात-रात भर उसके संग में बतियाता हूँ समय आने पर उसको में हथियाता हूँ पुस्तक