आ भी जाइये इतना भी न खुद को, ऐ सनम, आजमाइए, दर्द से इतना भी न, रिश्ता बढ़ाइए। किसी का गम, नहीं हैं कम, इसके भी बावजूद, जीना है अगर ज़िन्दगी, तो मुस्कुराइए। कहते हैं, हर बात, सबसे की नहीं जाती, फिर किस से कहेंगे, ज़रा ये तो बताइए। बैठिये सुकून से, नदी के किनारे, सुनिए मेरी भी, और कुछ अपनी सुनाइये। अपनी तरह का हो, तो बात और है मगर, हर किसी से दिल भी न अपना लगाइये। ऐसे ही टूट जाती हैं, चाहत यहां अक्सर, चाहे लाख जीने-मरने की, कसमें खाइये। आप भी रूठेंगे कभी, हम भी रूठेंगे, हम भी मनाएं और कभी, हमको मनाइये। थम न जाएं इंतज़ार, में ये धड़कनें, बस भी कीजिये, अजी अब आ भी जाइये। #प्रेम #मेरीक़लमसे #ग़ज़ल #pravesh_kanha #कोराकाग़ज़ #हिंदी #दर्द #कविसम्मेलन 𝘠ourQuote Didi YQbaba Arpana Kumari