छोड़ कर 'नेह' का सागर, वो किनारे पर जा बैठे, डूबने के डर से वो कश्ती भी गवां बैठे, कहते हैं मन को बहलाने के लिये, लहरों का खेल निराला है, सागर का नज़ारा देखकर ही अब गुजारा हो रहा है। साहब मेहरबानी! गुज़ारा हो रहा है। बस ये मत पूछिए, कैसे! #गुज़ाराहोरहाहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi