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मालूम था धोखा देना तुम्हारी फितरत है पर सोचो क्या

मालूम था धोखा देना तुम्हारी फितरत है
पर सोचो क्या होता  गर हम मुंह खोल देते
रोक लिया हमें गैरत - ए - महफ़िल ने
धज्जियां उड़ जाती तुम्हारी सराफत की 
अगर हम तुम्हारा राज  सबको बोल देते
@ghoyal गैरत - ए - महफ़िल
मालूम था धोखा देना तुम्हारी फितरत है
पर सोचो क्या होता  गर हम मुंह खोल देते
रोक लिया हमें गैरत - ए - महफ़िल ने
धज्जियां उड़ जाती तुम्हारी सराफत की 
अगर हम तुम्हारा राज  सबको बोल देते
@ghoyal गैरत - ए - महफ़िल