रोते हैं लोग, जलते है रोज घर कई, कुछ भी करलो ज़ख़्म सिलते नहीं । भुख से रोते हुए बच्चे को सड़क पर देखा , समझा तब, बिछड़े हुए माँ-बाप जल्द मिलते नही। सालों से देशको हर बात पर जलाया जा रहा है, अब्दुल और विवेक के बीते हुए कल मिलते नही। जो भी बोलना है वो सोच समझ कर बोलो, कपड़े तो सील जाते है ज़ख़्म सिलते नहीं । #बोलना