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#अमृताप्रीतम की एक एक खूबसूरत कविता मेरी आवाज़ में

#अमृताप्रीतम की एक 
एक खूबसूरत कविता मेरी आवाज़ में ....!!

प्रेम में डूबी हर स्त्री अमृता होती है या फिर होना चाहती है मगर  सबके हिस्से कोई इमरोज नहीं होता, शायद इसलिए भी कि इमरोज होना आसान नहीं.
अमृता अपनी एक कविता में वे कहती  हैं,   ‘अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते’ 

उनकी अंतिम नज्म इमरोज के नाम थी, केवल इमरोज के लिए...♥️ ❤️
"मैं तुझे फिर मिलूंगी"
nojotouser7945693672

Rekha Gakhar

New Creator

#अमृताप्रीतम की एक एक खूबसूरत कविता मेरी आवाज़ में ....!! प्रेम में डूबी हर स्त्री अमृता होती है या फिर होना चाहती है मगर सबके हिस्से कोई इमरोज नहीं होता, शायद इसलिए भी कि इमरोज होना आसान नहीं. अमृता अपनी एक कविता में वे कहती हैं, ‘अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते’ उनकी अंतिम नज्म इमरोज के नाम थी, केवल इमरोज के लिए...♥️ ❤️ "मैं तुझे फिर मिलूंगी"

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