मॉल में हॉल में चल रही बकरियां कैसे माहौल में पल रही बकरियां घर से दुनियां बदलने चली बकरियां पूरी दुनिया को ही खल रही बकरियां चारे के प्यार में भूखी त्योहार में ख्वाब की पूरियां तल रही बकरियां आधुनिक बकरियां सेरलक दे रही मेमनो को भी तो छल रही बकरियां चांद तारों तलक पहले ही घूम ली अब नजोटो पे भी चल रही बकरियां मैं मैं करती हुई ठीक हैं बकरियां दौर बीता की निर्बल रही बकरियां अब कसाई का दिल भी बदल जायेगा जैसे अंदाज से ढल रही बकरियां ©निर्भय चौहान बकरियां वरुण तिवारी करम गोरखपुरिया कवि आलोक मिश्र "दीपक" हिंदी शायरी 'दर्द भरी शायरी' शेरो शायरी