ख़ामोश निगाहें कभी मेरी तू पढ़ना इत्मीनान से हर नफ़स में तू ही तू, मुहब्बत निहाँ हर तार में पहला आख़र नाम का तेरे, हिना में सजाया है कुबूल किया जहाँ में सारे, इक तुझसे छुपाया है आँखों का खालीपन देखो, कमी तेरी झलकती है तेरी परवाह करने वाली तेरे लिए तड़पती है कहने को कुछ तुझसे मैने भी हर्फ़ हर्फ़ बटोरे हैं पहले पढ़लो नज़र मेरी जो समंदर से भी गहरे हैं ला-ज़वाल ख़्यालों को तेरी धड़कन से रफ़्तार मिले दिल में मेरे बसने वाले जान ले सभी असरार मेरे ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1109 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।