ख़ामियां है मुझमें या चाहत नही थी तेरी, ख़ाक बन चुका हूँ, बस एक रज़ा की कमी है तेरी, मोम से फिर मोम बन जाऊ ,वो तिल्ली की कमी है तेरी, मोम से बहते मोम, ज़रूरत वो धागे की कमी है तेरी, #यादें,#मोम,#बहते,,#ख़ाक,#तिल्ली, #चाहत Suman Zaniyan Suman Zaniyan