हक़ से बैठा चाँद देखो रात के पहलू में सिमटकर और ज़मी पे बेचारगी ये रो रही ख़ुद से यों लिपटकर एक तन्हा चाँद देखो रात को रोशन किए है मायूस आदमी ही क्यों है बुझ रहे दिल के दीये हैं #alienation