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रहस्यमई कहानी **************** अनुशीर्षक में पढ़े

रहस्यमई कहानी
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अनुशीर्षक में पढ़ें रहस्यमई कहानी
एक गांव नागरा में रात अजीबो-गरीब आवाज आने लगती थी, सब इस रहस्य से बेखबर थे।अँधेरी रात थी चारो तरफ सन्नाटा था। एक पुरानी हवेली जिसका राजा पुष्कर था उसकी दो बेटियां थी और एक बेटा था। महारानी की मृत्यु प्रसव के वक्त ही हो चुकी थी। मंत्री राम सिंह करूर सोच का था परंतु किस्मत तो कुछ और ही मंजूर था। जैसे कि बच्चों की उम्र 18 साल हुई महाराजा पुष्कर को लकवा मर गया और वो चारपाई पकड़ लिए।
बच्चों की उम्र इतनी नहीं थी कि राजपाठ संभाल सकें। कहते हैं ना जहां चील नजर हो वहां कोई कैसे बच पाए। मंत्री राम सिंह की नजर राजपाठ के साथ-साथ बड़ी बेटी पर भी थी। परंतु सरिता (बड़ी बेटी) को रामसिंह एक आंख नहीं भाता था। 1 दिन राम सिंह ने जबरदस्ती करने की कोशिश की तो उस जद्दोजहद में सरिता की मौत हो गई और उसकी बहन और भाई बचाने की कोशिश में वह भी मारे गए तब से उनकी आत्मा उस हवेली में न्याय के लिए भटक रही है। रात को उन सब की आत्माएं कराहती थी और खुद के साथ हुए विश्वासघात का न्याय चाहती थीं।
नागरा की राहों में जो भी मुसाफिर आता है उस मुसाफिर के कदम उस हवेली की तक चल पड़ते हैं क्योंकि आज भी उस हवेली को अपने इंतकाम को पूरा करना है और राजा का हक उसको वापस दिलाना है।इसी चाह में वो भटक रही हैं, यह रहस्य कैसे‌ सुलझे, कौन है जो उन्हें मुक्ति दिलाएं।
आज भी उस राह पर जाने से लोग डरते हैं क्योंकि उनकी आवाजें उनका दुख-दर्द उस हवेली में जैसे ठहर सा गया है।
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#theprompter
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एक गांव नागरा में रात अजीबो-गरीब आवाज आने लगती थी, सब इस रहस्य से बेखबर थे।अँधेरी रात थी चारो तरफ सन्नाटा था। एक पुरानी हवेली जिसका राजा पुष्कर था उसकी दो बेटियां थी और एक बेटा था। महारानी की मृत्यु प्रसव के वक्त ही हो चुकी थी। मंत्री राम सिंह करूर सोच का था परंतु किस्मत तो कुछ और ही मंजूर था। जैसे कि बच्चों की उम्र 18 साल हुई महाराजा पुष्कर को लकवा मर गया और वो चारपाई पकड़ लिए।
बच्चों की उम्र इतनी नहीं थी कि राजपाठ संभाल सकें। कहते हैं ना जहां चील नजर हो वहां कोई कैसे बच पाए। मंत्री राम सिंह की नजर राजपाठ के साथ-साथ बड़ी बेटी पर भी थी। परंतु सरिता (बड़ी बेटी) को रामसिंह एक आंख नहीं भाता था। 1 दिन राम सिंह ने जबरदस्ती करने की कोशिश की तो उस जद्दोजहद में सरिता की मौत हो गई और उसकी बहन और भाई बचाने की कोशिश में वह भी मारे गए तब से उनकी आत्मा उस हवेली में न्याय के लिए भटक रही है। रात को उन सब की आत्माएं कराहती थी और खुद के साथ हुए विश्वासघात का न्याय चाहती थीं।
नागरा की राहों में जो भी मुसाफिर आता है उस मुसाफिर के कदम उस हवेली की तक चल पड़ते हैं क्योंकि आज भी उस हवेली को अपने इंतकाम को पूरा करना है और राजा का हक उसको वापस दिलाना है।इसी चाह में वो भटक रही हैं, यह रहस्य कैसे‌ सुलझे, कौन है जो उन्हें मुक्ति दिलाएं।
आज भी उस राह पर जाने से लोग डरते हैं क्योंकि उनकी आवाजें उनका दुख-दर्द उस हवेली में जैसे ठहर सा गया है।
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