वो माहोब्बत भी क्या माहोब्बत होगी, जिसमे दीदार लब्जो से करना पड़े, माहोब्बत तो वो होती है, जो हजारो मिल से भी मेहबूब की सांस पहचान ले। -अमृत #माहोब्बत #अमृत