जिन्दगी की तपिश में राहत रूहे लाती है शामें ये फिजा... दिलों को चाहत ए एहसास सकून फरमाती उसकी अदा। महसूस कर तू रूहे इश्क मेरा नाम है रूहे फिज़ा नही हु मै फिर भी हूं खुशबू हु मै रूहे पाकीजा। 🌝प्रतियोगिता- 188🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"फ़िज़ा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I