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खुली सी खिड़की की तरह जिन्दगी मेरी बाहर से घर के भ

खुली सी खिड़की की तरह जिन्दगी मेरी
बाहर से घर के भीतर रौशनी का आभास कराता है ,
भीतर पसरा पड़ा है अंधेरा घना
जिससे हर कोई बचना चाहता है ।
एक कश्मकश सी है जिन्दगी मेरी
अंधेरे में ही रहती हूं 
अंधेरे में रहना आता है ,
फिर भी एक अंधेरा है 
जिससे ये दिल घबराता है ।
मिलती हूं जब भी किसी से
कोई भी आंसू मेरे देख न पाता है,
और मेरे दिखावे के मुस्कान को भी 
खिलखिलाने की आदत है इतनी,
के इस हंसी के सामने
मेरे भीतर छिपा दर्द भी कोई देख न पाता है ।

©Ayushi Akanksha #brokenwindow #khidkibhramki#jhuthimuakan
खुली सी खिड़की की तरह जिन्दगी मेरी
बाहर से घर के भीतर रौशनी का आभास कराता है ,
भीतर पसरा पड़ा है अंधेरा घना
जिससे हर कोई बचना चाहता है ।
एक कश्मकश सी है जिन्दगी मेरी
अंधेरे में ही रहती हूं 
अंधेरे में रहना आता है ,
फिर भी एक अंधेरा है 
जिससे ये दिल घबराता है ।
मिलती हूं जब भी किसी से
कोई भी आंसू मेरे देख न पाता है,
और मेरे दिखावे के मुस्कान को भी 
खिलखिलाने की आदत है इतनी,
के इस हंसी के सामने
मेरे भीतर छिपा दर्द भी कोई देख न पाता है ।

©Ayushi Akanksha #brokenwindow #khidkibhramki#jhuthimuakan