कशमकश अजीब कशमकश है,सबके दिलों में सब...इस दौर से रूबरू हो रहे हैं,हम अकेले नहीं हैं...अजीब सी बेचैनी है, खामोशी है बोझ है दिलों पर एहसासों को बयान करना मुश्किल हो रहा है, दिल क्या चाहता है पता नहीं चल रहा...उन लोगों के साथ जीना मुश्किल लग रहा है जिनके साथ जिंदगी गुजारी है ,बेकार सा लग रहा है सब कुछ, बे मायना सा सब बिन मंजिल के कदम डगमगा रहे हैं...कदम बढ़ने से पहले यह बाहरी दुनिया!...बड़ी अजीब है या फिर हम अजीब हैं ,कुछ पता नहीं चल रहा है...किसी के आने का इंतजार या अपनी मंजिल पर पहुंच जाने का ख्याल,