मेरे आफ़ताब को पूरा आसमाँ चाहिए, अब तो उसे ये सारे सितारे जलाने है। ©Krishna Awasthi मुझे वो गैर जरूरी इशारे जलाने है अब तिरे भीतर हमें शरारे जलाने है यूँ साहिल पर तो डूबना नहीं अच्छा, तखईल की बाँहो के किनारे जलाने हैं मेरे आफ़ताब को पूरा आसमाँ चाहिए अब तो उसे ये सारे सितारे जलाने है सुनो अकेले भी है यहाँ मेरा वजूद कोई, हयात, दिखावे के सभी सहारे जलाने है।