किस बुराई पर जीत तुमने पाई है फख्त रावण के पुतले में ही आग लगाई है। जिसने नवरात्रि में इन्द्रियों के नौ द्वार शुद्ध कर लिए ओर दसवें अपने मन पर जीत पाई है। क्या काम वासना क्रोध लोभ मोह अहंकार मद मस्त क्रुरता स्वार्थ परनिंदा समस्त विकार घट भीतर दिये हैं जार और अतंर्मन में शील क्षमा संतोष प्रेम विनम्रता का कर लिया संचार। केवल ऐसे विरले पुरुष को ही प्यारे विजय दशमी की बधाई है। बाकियों ने इन्द्रिय विषय विकारों पे नहीं फख्त रावण के पुतले में ही आग लगाई है। सोचना अंतरमन में बैठकर किस बुराई पर जीत तुमने पाई है। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 25.10.2020 विजय दशमी