मैं ही सागर, मैं ही पर्वत मैं ही आकाश हूँ... मैं ही सुख, मैं ही दुख मैं ही जीवन राग हूँ... मैं ही शून्य, मैं ही अनंत मैं हीं सृष्टि का सार हूँ... मैं ही विष, मैं ही अमृत मैं ही मृत्यु का द्वार हूँ... मैं ही नर, मैं ही नारी मैं ही सृष्टि का आधार हूँ... मैं ही प्रेम ,मैं ही द्वेष मैं ही मानवता का संचार हूँ... मैं ही विश्वास, मैं हीं समर्पण मैं ही संयम का मार्ग हूँ... मुझको तू ढूंढ़े ना जाने कहाँ-कहाँ मैं तो तेरे ही पास हूँ... जीवन में दुविधा बहुत हैं, शरण तेरी मुझको चाहिए...🌷 #lifequotes #lifelessons #thoughtoftheday #thoughtsofheart #महादेव #भोलेनाथ #महाकाल