तुमने भी सरे आम ये क्या ज़ुल्म कर दिया दिल को खुद बुझा कर इक इल्ज़ाम धर दिया कभी झूठा इकरार कर एहसान कर दिया कभी धोखे से गर्दन पर मेरे खंजर रख दिया मुद्दत बाद हमें अचानक देख कर दर का चिराग बुझा दिया फिर सामने पत्थर रख दिया बेहतर है अब मिटा दो ये तजुर्बे अपने जीना मेरा ही हराम कर हमको दर बदर कर दिया मरहूमियों पे अब मिटा जा रहा हूं इक जो हसरत तेरे नाम की थी वो भी खत्म कर दिया 🐱🐱मेरी इक प्यारी सी ग़ज़ल दास्तां ए गम🐱🐱 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी प्यारी ग़ज़ल दास्तां ए गम #alone