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दिसंबर की वो रात और रुपहले जज्बात वो आंखो का आंखो

दिसंबर की वो रात और रुपहले जज्बात 
वो आंखो का आंखो से इस कदर टकराना

वो खुले जुल्फ रेशम से लहराते
वो होठ गुलाबी पंखुड़ियों से कपकपाते

वो पलकों को झुका कर पलकें उठाना
वो टकटकी मेरी देख उसका सिमट जाना

रोकता खुद को कैसे उसकी आदाओ ने कतल कर डाला था
शराबी नहीं था मै वो तो उसकी मदमस्त नयनों का प्याला था। #december की वो रात#day 18#just a thought
दिसंबर की वो रात और रुपहले जज्बात 
वो आंखो का आंखो से इस कदर टकराना

वो खुले जुल्फ रेशम से लहराते
वो होठ गुलाबी पंखुड़ियों से कपकपाते

वो पलकों को झुका कर पलकें उठाना
वो टकटकी मेरी देख उसका सिमट जाना

रोकता खुद को कैसे उसकी आदाओ ने कतल कर डाला था
शराबी नहीं था मै वो तो उसकी मदमस्त नयनों का प्याला था। #december की वो रात#day 18#just a thought
smitaishu8349

smita@ishu

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