अजीब प्यार था .... ***************** हँसाता था मुझे.. कभी रुला भी देता था खैर.. वो कभी कभी मुझे चुपा भी देता था। बेवफा तो था मगर... अच्छा लगता था दिल को कभी कभी बातें मुहब्बत की सुना भी देता था। थाम लेता था हाथ मेरा कभी खुद अपने आप.. कभी यूँ अपना हाथ.. मेरे हाथ से छुड़ा भी लेता था। अजीब धूप छांव सा मजाक था उसका मुहब्बत भी करता था एक पल के लिए... और एक पल में नज़रों से गिरा भी देता था। अजीब प्यार था उसका.... अपनी जुदाई का किस्सा छुपा भी लेता था और कभी दोस्तों में सुना भी देता था। ©Ankur Mishra अजीब प्यार था .... ***************** हँसाता था मुझे.. कभी रुला भी देता था खैर.. वो कभी कभी मुझे चुपा भी देता था। बेवफा तो था मगर...