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ख़ामोश मैं खामोश हो के सहती रही । वो ज़ुल्म पे ज़ुल्म

ख़ामोश मैं खामोश हो के सहती रही ।
वो ज़ुल्म पे ज़ुल्म करता रहा ।
बचपन से सिखती थी घर में,
आदत वही थी चुप रहने की ।
वो कुछ न कुछ बोलता रहा ।
मैं खामोश हो के सहती रही ।

थोड़ी सी क्या आवाज़ उठाई !
कुछ तो बदचलन बोल दिया !
घर वालों ने बेशर्म कह दिया ।
पर क्यों की थी आवाज बुलंद,
ये पुरुष प्रधान देश मेरी कहाँ सुनी ।
अंत मे अपनी ही गलती समझी ।
मैं खामोश हो के सहती रही ।

Ram N Mandal Main khamosh ho ke sahati rhi.
Vo zulm pe zulm karta rha.
Bachapan se sikhati thi ghar me.
Aadat vahi thi chup rahne ki.
Vo kuchh n kuchh bolta rha.
Main khamosh ho ke sahati rhi.

Thodi si kya avaj uthaee.
ख़ामोश मैं खामोश हो के सहती रही ।
वो ज़ुल्म पे ज़ुल्म करता रहा ।
बचपन से सिखती थी घर में,
आदत वही थी चुप रहने की ।
वो कुछ न कुछ बोलता रहा ।
मैं खामोश हो के सहती रही ।

थोड़ी सी क्या आवाज़ उठाई !
कुछ तो बदचलन बोल दिया !
घर वालों ने बेशर्म कह दिया ।
पर क्यों की थी आवाज बुलंद,
ये पुरुष प्रधान देश मेरी कहाँ सुनी ।
अंत मे अपनी ही गलती समझी ।
मैं खामोश हो के सहती रही ।

Ram N Mandal Main khamosh ho ke sahati rhi.
Vo zulm pe zulm karta rha.
Bachapan se sikhati thi ghar me.
Aadat vahi thi chup rahne ki.
Vo kuchh n kuchh bolta rha.
Main khamosh ho ke sahati rhi.

Thodi si kya avaj uthaee.
ramnmandal6182

Ram N Mandal

Bronze Star
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