आत्म पर उन्मुक्ति औ' अह्वलाद का घेरा लिखूंगा, शून्य में सर्वस्व घोले , मैं , मुझे तेरा लिखूंगा, स्वप्न की धुंधली शिखा पर, कल्पना अस्तित्व पाती, स्व की एकाकी धरोहर, साम्य होकर द्वित्व गाती, उम्र अंबुधि में सरस , दिनमान का भेरा लिखूंगा, शून्य में सर्वस्व घोले , मैं , मुझे तेरा लिखूंगा ... ©Savyasachi 'savya ' #Likho #savyakabir #panditsavya