Nojoto: Largest Storytelling Platform

लालच,लोभ,स्वार्थ में डूबे खोया प्रेम भरी कडुवाई, ब

लालच,लोभ,स्वार्थ में डूबे खोया प्रेम भरी कडुवाई,
बच्चोँ से अनभिज्ञ बने हो खेल रहे हो छुपम-छुपाई,
                                                 
बीता वक्त गई तरुनाई रिश्ते हो गये हवा मिठाई,
फीका पड़ा खून का नाता कैसे कहूँ भाई को भाई,  
                                                  . 
दूध और माखन से थे हम निर्मल,निश्छल था अपनापन, 
स्वार्थ और मद मेँ बन अंधे डाली किसने तिक्ष्ण खटाई,     
                                                   
क्या प्रत्युत्तर यही प्रेम का? क्योँ विश्वास छला जाता है?  
पड़े रहेंगे बंगले दौलत साथ चलेगी नेक कमाई,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #डाली किसने तिक्ष्ण खटाई#
लालच,लोभ,स्वार्थ में डूबे खोया प्रेम भरी कडुवाई,
बच्चोँ से अनभिज्ञ बने हो खेल रहे हो छुपम-छुपाई,
                                                 
बीता वक्त गई तरुनाई रिश्ते हो गये हवा मिठाई,
फीका पड़ा खून का नाता कैसे कहूँ भाई को भाई,  
                                                  . 
दूध और माखन से थे हम निर्मल,निश्छल था अपनापन, 
स्वार्थ और मद मेँ बन अंधे डाली किसने तिक्ष्ण खटाई,     
                                                   
क्या प्रत्युत्तर यही प्रेम का? क्योँ विश्वास छला जाता है?  
पड़े रहेंगे बंगले दौलत साथ चलेगी नेक कमाई,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #डाली किसने तिक्ष्ण खटाई#