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सीप को मोती की, दीपक को ज्योति की! मल्ल को लँगोटी

सीप को मोती की,
दीपक को ज्योति की!
मल्ल को लँगोटी की,
जरूरत है जैसे!
मुझे तेरी जरूरत है।
हवा को महक की,
फ़िज़ा को चहक की!
खिज़ा को चमक की,
जरूरत है जैसे!
मुझे तेरी जरूरत है। 🎀 Challenge-194 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
सीप को मोती की,
दीपक को ज्योति की!
मल्ल को लँगोटी की,
जरूरत है जैसे!
मुझे तेरी जरूरत है।
हवा को महक की,
फ़िज़ा को चहक की!
खिज़ा को चमक की,
जरूरत है जैसे!
मुझे तेरी जरूरत है। 🎀 Challenge-194 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।