रोती है रोज रात आगोश में बाते होती है, लब मुस्कुराते है और तकिया रोती है, कैसे कह दूं की तू अब गैर है, ख्वाहिशें हस्ती है और हकीकत रोती है। यूं तो तेरे साए का पहलू आज भी है, मेरे जहन में छिपा महफूज़ वो राज भी है, तेरे अक्स को गले से लगाता खुश होता हूं, दर्द तो ठिठकता है सिसकती खुशी रोती है। तेरे अल्फाजों का लम्हा आज भी मुझे ढूंढता है, मेरे इर्द गिर्द साए में अब भी कहीं घूमता है, तड़पता दिल बेचैन मिलन को बैठा है, ख्याल सुकून देता है पर देखो कैसे सुकून रोती है। तुम मिलेगी फिर से मेरे सिरहाने ये सिलवटें बताती है, मेरे टूटे दिल के हौसले को फिर से जगाती है, हकीकत और कल्पना आपस में ही जंग करती है, जंग जीत कर भी क्यों कल्पना ही रोती है। रोज रात सिरहाने में बस यही मुलाकात होती है, रोज टूटता हूं की तकिया भी रोती है। रोती है #yqbhaskar #yqdidi #yqaestheticthoughts #yqtales #yqquotes #yqaansu #yqdilkibaat #yqdil_se