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सर्कस का वो खेल याद है मुझे, हर एक किरदार मंच पर उ

सर्कस का वो खेल याद है मुझे, हर एक किरदार मंच पर उत्साह से भरा हुआ।वो लड़की हर बंधन से मुक्त हो करतब दिखाया करती थी, मुझे अपनी जिंदगी मानो बंधन में बंधी लगती थी। तब अनभिज्ञ थी इस  बात से,उसकी रोज़ी  उसे मंच पर मुक्त दिखलाती हुई, मुक्त होकर भी वो भंवर में जकड़ी हुई, जान जोखिम में डालकर प्रदर्शन में लगी हुई। पर्दे के पीछे हर शख़्स जूझता हुआ,तम्बू उठा अगले मंच की तरफ बढ़ता हुआ। हर दर्शक के चेहरों पे मुस्कान भर, चंद पैसों के लिए मंज़िल बदलता जा रहा,वो सर्कस तब एक खेल था और आज पूरी जिंदगी का आइना बन गया।  #सर्कस
सर्कस का वो खेल याद है मुझे, हर एक किरदार मंच पर उत्साह से भरा हुआ।वो लड़की हर बंधन से मुक्त हो करतब दिखाया करती थी, मुझे अपनी जिंदगी मानो बंधन में बंधी लगती थी। तब अनभिज्ञ थी इस  बात से,उसकी रोज़ी  उसे मंच पर मुक्त दिखलाती हुई, मुक्त होकर भी वो भंवर में जकड़ी हुई, जान जोखिम में डालकर प्रदर्शन में लगी हुई। पर्दे के पीछे हर शख़्स जूझता हुआ,तम्बू उठा अगले मंच की तरफ बढ़ता हुआ। हर दर्शक के चेहरों पे मुस्कान भर, चंद पैसों के लिए मंज़िल बदलता जा रहा,वो सर्कस तब एक खेल था और आज पूरी जिंदगी का आइना बन गया।  #सर्कस
nidhipant2890

Nidhi Pant

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