अभी रूक मत ऐ कुदरत जरा पत्तों को हिलने तो दो.. छलका दो जाम जरा अपना कुछ बुंदो को मिट्टी से मिलने तो दो! - सस्ता-कवि 🖊️ #भीगा_दे_ए_कुदरत!