ये कैसे ख्वाब थे जो हमें किस क़दर दुख देने लगे थे ख्वाब हमारे टूटे थे, आंखें पल-पल ख्वाबों को याद कर रोती थी SK किस्मत भी हंसती रही, मंजिल के इतने करीब होकर ख्वाब भी टूट गए इसलिए मैंने ख्वाबों को देखना ही छोड़ दिया... #SK_Sanjeev #Night