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कितना सोचू में तुम्हें , और कब तलक गुनगुनाऊं । अजी

कितना सोचू में तुम्हें ,
और कब तलक गुनगुनाऊं ।
अजीब सा खुमार है ये ।।
बेहिसाब याद आती हो ,
लबों पर जैसे चिपक ही जाती हो ।

( pratik jangid )

©Dear diary #lovewriter #writer #Hindi #shayri #instawriters
कितना सोचू में तुम्हें ,
और कब तलक गुनगुनाऊं ।
अजीब सा खुमार है ये ।।
बेहिसाब याद आती हो ,
लबों पर जैसे चिपक ही जाती हो ।

( pratik jangid )

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deardiary6275

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