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Unsplash तुम उस आग की राख हो जिसे मैंने बहुत पहले

Unsplash तुम उस आग की राख हो जिसे मैंने बहुत पहले बुझा दिया था,
जिस हवा में मैं सांस लेता हूँ उसमें तैरता हुआ।
 जब मैं अपने हाथ खोलता हूँ,
मुझे तुम्हारी धूल अपनी त्वचा पर मिलती है,
जैसे कि तुम कभी सच में गए ही नहीं।

©Manas shandilya #lovelife  poetry poetry lovers poetry in english poetry on love poetry quotes
Unsplash तुम उस आग की राख हो जिसे मैंने बहुत पहले बुझा दिया था,
जिस हवा में मैं सांस लेता हूँ उसमें तैरता हुआ।
 जब मैं अपने हाथ खोलता हूँ,
मुझे तुम्हारी धूल अपनी त्वचा पर मिलती है,
जैसे कि तुम कभी सच में गए ही नहीं।

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manastiwari1500

Manas shandilya

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