White ::त्याग की मूरत:: ये रात तो रोज ही आती है पर ना जाने तुम कहां गुम हो जाती हो, मिलती भी हो कभी तो बस थकी हारी जिम्मेदारियों के बोझ में दबी, बोझिल सी,कर्तव्यों की जंजीरों में बंधी हुई मुरझाई सी, आखिर,तुम किस पत्थर की बनी हुई हो,खुद खोकर अपना ही वर्चस्व तुम,कभी किसी की मां, कभी पत्नी,कभी बेटी, और कभी कोई देवी,बनी खड़ी हो तुम एक मूरत बनकर, लेकिन, अफसोस इतना कि तुम कभी बस तुम ही ना बन पाई मेरे लिए या फिर अपने लिए ही, क्योंकि तुमने सबको जाना पर सिर्फ खुद को ही ना पहचाना कभी, और फिर धीरे धीरे ही पता नही कहां गुम होती चली गई तुम........ ©Andy Mann #त्याग_की_मूरत अदनासा- Dr. uvsays