लालच सत्ता की कुर्सी की लालच में, मानवता खो बैठा है इंसान, रिश्तों की एहमियत भुला बैठा है इंसान, परिवार को दो टुकड़ों में विभाजित कर बैठा है इंसान। १९७५ में कुर्सी की लालच ने आपातकाल लाया, जिसने सत्ता की चाहत को देश से ऊपर बनाया, यह प्रश्न पूछने पर मजबूर किया, क्या कुर्सी देश से अधिक महतत्वपूर्ण है? आज ४४ साल बाद फिर वह दिन आया, जब कुर्सी की चाहत ने विश्वास और परिवार की नींव को हिलाया, आज फिर प्रश्न पूछने पर मजबूर किया, क्या कुर्सी विश्वास से अधिक महतत्वपूर्ण है? सच कहते है जग वाले, राजनीति एक दलदल है, पर यह भी सच है कि इसी दलदल में कमल खिलता है, कुर्सी की लालच को छोड़, राष्ट्र के हित में सोच, मन से लालच के दलदल को निकाल, राष्ट्र हित का कमल खिला #thirdquotebyheart #maharashtrapolitics #indianpolitics #politicsinindia #politicians #politicallyincorrect