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आड़ी-तिरछी रेखाओं से, तुम्हारा अक्श बनाता रहता हूँ.

आड़ी-तिरछी रेखाओं से,
तुम्हारा अक्श बनाता रहता हूँ...
कभी तुम बन जाते हो,
कभी सिर्फ़ तुम्हारी आँखे...
और फिर,
मैं उन आँखों में,
खो जाता हूँ,
कई रातें गुज़र जाती हैं,
न तुम आती हो,
न तुम्हारी याद,
जाती है....😢
          -शैलेन्द्र

©HINDI SAHITYA SAGAR
  आड़ी-तिरछी रेखाओं से,
तुम्हारा अक्श बनाता रहता हूँ...
कभी तुम बन जाते हो,
कभी सिर्फ़ तुम्हारी आँखे...
और फिर,
मैं उन आँखों में,
खो जाता हूँ,
कई रातें गुज़र जाती हैं,

आड़ी-तिरछी रेखाओं से, तुम्हारा अक्श बनाता रहता हूँ... कभी तुम बन जाते हो, कभी सिर्फ़ तुम्हारी आँखे... और फिर, मैं उन आँखों में, खो जाता हूँ, कई रातें गुज़र जाती हैं, #Pencil #SAD #poem #pencildrawing

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