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//चल तू अकेला// **************** मुक्तकंठ होकर चल

//चल तू  अकेला//
****************
मुक्तकंठ होकर चला चल अकेला तेरी राहों में तेरा कारवां होगा,
रेतरी आवाज़ सुन ना रुके कोई तो जुबां का लहजा बदलना होगा,

राहत ए वस्ल ना मांग  खुदा से कांटों के पथ पर चलना होगा,
रख्त  ए  हयात  में  तार्तिकता  से  तुम्हें  निरंतर चलना होगा,

तिरोहित होगीं  मुश्किलें दिल के अरमानों का तर्पण करना होगा,
रास्ते धुंधले हैं तो क्या मंजिल पर कर्ब ए  मुसलसल चलना होगा,

चल तू  अकेला  सफर  में राही  नव बीज का सृजन करना होगा,
करके  पोषित  जिजीविषा  को  नव  पल्लव  रोपित करना होगा,

मखलूक की सृष्टि में कज़्ज़ाक ना होने देना अपनी खुशियों का,
बनकर रहनुमां  खुद का अपनी हर इच्छा को शादमां करना होगा,

पुर  खुलूसी  का त'अस्सुर अब्र पर क़िरदार ए इश्राक होगा,
रंग ए  अफ़्शानी  तेरे   खयाबाँ  में   मधुकर  गुंजन  होगा,

वलवलों  को  उबलने दें ,  शम  ए  फिरोजां  को दहकने दें,
वज्ह   ए   शाइस्तगी  का  आखिर  कुछ  तो  कारण होगा,

तस्कीन  ए  जिगर  होगा  ,  हर  सू  यह  ही  पयाम होगा ,
कामयाबी  की  सहरी  लेगा  तो   कदमों  में  जहां  होगा,

स्वेद  से  मामूर  कर  अपनी  सुंदर  काया  को,
तेरी हिम्मत के आगे वक्त को  भी सर झुका के  सलाम होगा,

अहल  ए  सफा  की  संगत  में  गुजारे  कुछ  लम्हों से,
तफ़रीक   तुम्हें   अपने   रदीब   और    हबीब   होगा। //चल तू  अकेला//
****************
मुक्तकंठ होकर चला चल अकेला तेरी राहों में तेरा कारवां होगा,
रेतरी आवाज़ सुन ना रुके कोई तो जुबां का लहजा बदलना होगा,

राहत ए वस्ल ना मांग  खुदा से कांटों के पथ पर चलना होगा,
रख्त  ए  हयात  में  तार्तिकता  से  तुम्हें  निरंतर चलना होगा,
//चल तू  अकेला//
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मुक्तकंठ होकर चला चल अकेला तेरी राहों में तेरा कारवां होगा,
रेतरी आवाज़ सुन ना रुके कोई तो जुबां का लहजा बदलना होगा,

राहत ए वस्ल ना मांग  खुदा से कांटों के पथ पर चलना होगा,
रख्त  ए  हयात  में  तार्तिकता  से  तुम्हें  निरंतर चलना होगा,

तिरोहित होगीं  मुश्किलें दिल के अरमानों का तर्पण करना होगा,
रास्ते धुंधले हैं तो क्या मंजिल पर कर्ब ए  मुसलसल चलना होगा,

चल तू  अकेला  सफर  में राही  नव बीज का सृजन करना होगा,
करके  पोषित  जिजीविषा  को  नव  पल्लव  रोपित करना होगा,

मखलूक की सृष्टि में कज़्ज़ाक ना होने देना अपनी खुशियों का,
बनकर रहनुमां  खुद का अपनी हर इच्छा को शादमां करना होगा,

पुर  खुलूसी  का त'अस्सुर अब्र पर क़िरदार ए इश्राक होगा,
रंग ए  अफ़्शानी  तेरे   खयाबाँ  में   मधुकर  गुंजन  होगा,

वलवलों  को  उबलने दें ,  शम  ए  फिरोजां  को दहकने दें,
वज्ह   ए   शाइस्तगी  का  आखिर  कुछ  तो  कारण होगा,

तस्कीन  ए  जिगर  होगा  ,  हर  सू  यह  ही  पयाम होगा ,
कामयाबी  की  सहरी  लेगा  तो   कदमों  में  जहां  होगा,

स्वेद  से  मामूर  कर  अपनी  सुंदर  काया  को,
तेरी हिम्मत के आगे वक्त को  भी सर झुका के  सलाम होगा,

अहल  ए  सफा  की  संगत  में  गुजारे  कुछ  लम्हों से,
तफ़रीक   तुम्हें   अपने   रदीब   और    हबीब   होगा। //चल तू  अकेला//
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मुक्तकंठ होकर चला चल अकेला तेरी राहों में तेरा कारवां होगा,
रेतरी आवाज़ सुन ना रुके कोई तो जुबां का लहजा बदलना होगा,

राहत ए वस्ल ना मांग  खुदा से कांटों के पथ पर चलना होगा,
रख्त  ए  हयात  में  तार्तिकता  से  तुम्हें  निरंतर चलना होगा,
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