वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के आने से पहले पूरे देश में ही जातिवाद हावी था सारा राजनीति जोड़ घटा जातियों और संप्रदायों को लेकर किया जाता था मोदी ने ना केवल सबका साथ सबका विकास का नारा दिया आपूर्ति जनकल्याण की अनेक योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लागू करके आम गरीब लोगों तक पहुंचाया इसे जमीने कार्य कह सकते हैं राजनीति में जनता में जुड़े जमाने के लिए जमीनी स्तर के कार्य को कोई विकल्प नहीं है गरीबों के लिए आवास शौचालय उज्जवल गैस आयुष्मान कार्ड गरीब कल्याण योजना से करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन जमीनी स्तर के कार्य के उदाहरण इस के लाभार्थी अधिकतर पिछड़े और दलित समाज से ही आते हैं इसलिए चुनाव जाति व संप्रदाय की अपेक्षा विकास के मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं विपक्ष की राग कि भाजपा केवल सरवानिया पार्टी है अब आमजन स्वीकार नहीं कर रहा इसका एक कारण यह भी है कि भाजपा छोटे बड़े सभी चुनाव में पिछड़ों व दलितों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दे रही है वह मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री के पद पर आसीन भी है ©Ek villain #lonely #तुष्टीकरण की राजनीति छोड़े विपक्ष