की मरने की नहीं जीने की वज़ह ढूं नता हूं अब और पीछे नहीं आगे बढ़ने की वजह ढूं नता हूं प्यार के धोखे और फरेब में सिर्फ़ दिल टूटे है अब टूटे हुए दिलो की दवा ढूं नता हूं अब सच से नहीं झूठ पर ही जीता और मरता हूं बहुत धोखे खा लिए ये जिंदिंगी बस अब मरने से नहीं जीने से डरता हूं।। "देवेन्द्र कुमार" 15/03/2020 Ye DIl