खुदको सौ परदों में रखा है, हथेलियों खुद की लकीरों को रचा है, इतना सा है इतिहास मेरा, की मैंने गैरों को अपना बना रखा है, अधूरे शब्द को पूर्ण ज्ञान समझ लिया, बस वो एक भूल थी मेरी। मेरे वजूद को निगाहें नापाक से मत देखना, जो मेरे हक का है, मेरे हक में ही रखना, है थोड़ी सी मशरूफियत मेरे करीब आने में, बस गैर समझ के कोई फैसला मत रखना, एक लम्हे में संसार को परख लिया, बस वो एक मेरी भूल थी। जिसके झोली में सारे मौसम मिला करते थे, मन के सारे सवाल जहां जिया करते थे, आज उस दामन से कई सवाल मिलें है, इन सवालों में खुद का सम्मान समझ लिया, बस वो एक मेरी भूल थी।— % & वो एक भूल थी मेरी... #भूलथीमेरी #collab #didi #yqhindiquotes Collaborating with YourQuote Didi #yqbhaskar