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मत पूछ मेरी बेचैनी हमदम, इस घनेरी स्याह रात में। द

मत पूछ मेरी बेचैनी हमदम, इस घनेरी स्याह रात में।
दिल का सुकूँ, मन का चैन, जाने खोया किस बात में।

अक्सर मेरी ये तन्हाईयाँ, अब सवाल हज़ार करती हैं।
कैसे समझाऊँ हाल अपना, इस भूली-बिसरी याद में। 👉🏻 प्रतियोगिता- 677
विषय 👉🏻 🌹"स्याह रात"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
मत पूछ मेरी बेचैनी हमदम, इस घनेरी स्याह रात में।
दिल का सुकूँ, मन का चैन, जाने खोया किस बात में।

अक्सर मेरी ये तन्हाईयाँ, अब सवाल हज़ार करती हैं।
कैसे समझाऊँ हाल अपना, इस भूली-बिसरी याद में। 👉🏻 प्रतियोगिता- 677
विषय 👉🏻 🌹"स्याह रात"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

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🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।