कभी कभी महसूस होती है ख़लिश मेरे दिल को तेरी उसे पेचीदा मसलों में फंसाकर अक्सर बहला देता हूँ जब भी दर्द हद पार करता है बस यूं ही मुस्कुरा देता हूँ जख्म खुलने लगे कुरेदने से कभी उन्हें भी सहला देता हूँ जब भी आंखे भर आती है किसी रस्ते से गुज़रते हुए तो उसे भी किताबों से कोई वरक देंकर उलझा देता हूँ आज़ाद कर दिया था हर ख़्याल से हर वादें से तेरे खुद को तब से जिंदगी हर उलझे हुए सवालात को सुलझा लेता हूँ #mps