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हज़रत मुहम्मद जी ने भी पाप कर्म दंड झेला!
पुस्तक- जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम के पृष्ठ 46, 51-52, 64, 307-315) में प्रमाण है कि हज़रत मुहम्मद जी ने बचपन में यतीमी का दुःख देखा। उनके तीनों पुत्रों की मृत्यु हो गई तथा स्वयं हज़रत मुहम्मद जी की भी 63 वर्ष की उम्र में असहाय बीमारी से तड़फ तड़फ कर मृत्यु हुई। पाप कर्म दंड तो सिर्फ अल्लाह कबीर की सच्ची इबादत करने से ही समाप्त हो सकतें है।
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