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मां आज भी घर की कर्ताधर्ता हैं। मैं कुछ बन ना सका

मां आज भी घर की कर्ताधर्ता हैं।

मैं कुछ बन ना सका मां का मन डरता हैं।

प्रतिदिन विघ्नहर्ता के समक्ष दीप प्रज्वलित करती हैं,

पर मेरी मां ही मेरी सच्ची विघ्नहर्ता हैं ।

          आनंद विष्णुशाली नागदाह

©Anand Dhiman
  मां आज भी घर की कर्ताधर्ता हैं।

मैं कुछ बन ना सका मां का मन डरता हैं।

प्रतिदिन विघ्नहर्ता के समक्ष दीप प्रज्वलित करती हैं,

पर मेरी मां ही मेरी सच्ची विघ्नहर्ता हैं ।

मां आज भी घर की कर्ताधर्ता हैं। मैं कुछ बन ना सका मां का मन डरता हैं। प्रतिदिन विघ्नहर्ता के समक्ष दीप प्रज्वलित करती हैं, पर मेरी मां ही मेरी सच्ची विघ्नहर्ता हैं । #कविता

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