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आज भारतीय लोकतंत्र के ग्रंथ "संविधान" के रचयिता इ

आज भारतीय लोकतंत्र के ग्रंथ "संविधान" के 
रचयिता इतिहास-पुरुष भारतरत्न डॉक्टर 
बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जी का 
महानिर्वाण दिवस है, अर्थात वे ०६ दिसंबर 
१९५६ को मोक्ष या पंचतत्व में विलीन हो गए।
यह कहना आवश्यक हो गया है कि मैं ब्राह्मण हूं,
 क्योंकि आज धर्म-धर्म का खेल अपने 
चरम पर है, इसलिए मेरा ब्राह्मण होना 
भी मनुवाद कहलाता है, क्योंकि कभी 
ब्राम्हणों द्वारा दलित का तिरस्कार होता
 रहा, परंतु यह वर्तमान में भी 
दलित विरोधी घटनाओं द्वारा 
साबित करता है, मगर मुझ 
जैसे कई मनुवादी है जो 
आंबेडकर जी का समर्थन 
करते है मगर यह कोई मेहरबानी नही 
है, क्योंकि जातिवादी मानसिकता का 
दंश जो दलित वर्ग ने झेला है वह 
दुखद है, अपितु हम सभी को 
आंबेडकर जी का धन्यवाद एवं 
आभार प्रकट करना चाहिए कि उनके संविधान की रचना ने अबतक हमें एक सूत्र में बांध रखा है‌‌, जिसे तोड़ने का भरसक प्रयास हो रहा है।
खैर..! इस दिन को याद करते हुए मैं चंद शब्द लिखूंगा जिसका आकलन, विष्लेषण एवं आत्ममंथन हम सभी को करना ही होगा, परंतु कोई जबरदस्ती तो नहीं मगर ज़रूरी है वह यह कि....
गांधी का अहिंसावाद चुप है, सिमांत गांधी वाद हिंसक है, और आंबेडकरवाद सोच रहा है जिसका लाभ गोड़से वाद उठा ले गया और उठा रहा है।

©अदनासा-
  चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार 💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3C36APt
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चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार 💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3C36APt #बाबासाहेब #आंबेडकर #भारतरत्न #संविधान #जयभीम #हिंदी #Pinterest #Instagram #Facebook #अदनासा #जानकारी

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